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बंगले से हटा धार्मिक स्थल
स्कूल में चार सुरक्षाकर्मी और दो आया
बंगले में काले- गोरे का खेल
राजनांदगांव. जिले के एक अधिकारी की देशी मैम का विदेशी जलवा देखते ही बन रहा है. उक्त विभाग में कानाफूसी रोज सुनने को मिल रही है. देशी मैम के विदेशी जलवें का एक और नया किस्सा सामने आया है. जिसमें देशी मैम को विदेशी चीजे बहुत पसंद है. मैम की बात ही निराली है. सभ्रांत परिवार के लोग मुंगफल्ली या राईस ब्रांड तेल खाने में उपयोग करते है, जिसकी कीमत ज्यादा से ज्यादा 350 रू. किलो की है. लेकिन देशी मैम के विदेशी जलवे के चलते 780 रूपए किलों का तेल बंगले में जा रहा है. सूत्र बता रहे है कि अन्य सामान भी इतने महंगे है कि आम जनता के एक साल के राशन का खर्च बंगले के एक महीने के बराबर का है.
बंगले से हटा धार्मिक स्थल
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बंगले में पहले आए एक अधिकारी ने धार्मिक स्थल बनाया था. लेकिन अभी आए अधिकारी ने उक्त धार्मिक स्थल को अन्य जगह स्थानांरित कर दिया है. इसके पीछे की कहानी भी विचित्र बताई जा रही है. सूत्र बता रहे है कि बंगले जीर्णोद्धार का काम चल रहा है. बगले का विशाल महल का रूप दिया जा रहा है इसके चलते उक्त धार्मिक स्थल आ रहा था. जिसे अन्य जगह स्थानांरित कर दिया गया है. बंगले में साज- सज्जा के लिए दो ट्रक सामान भी आ गया है. लेकिन देशी मैम को विदेशी महल बनाने के लिए रोज दिवारों का तोड़ा और जोड़ा जा रहा है. इन सब में जो खर्च हो रहा है उतमें में तो नया बगला बनकर तैयार हो जाता. लेकिन क्या करें अधिकारी पर लक्ष्मी जी की कृपा है. इसलिए तो कबाड़ से भी जुगाड़ हो रहा है. 10 का कबाड़ 30 में चल गया है.
स्कूल में चार सुरक्षाकर्मी और दो आया
उक्त अधिकारी के बच्चें का एक स्कूल में एडमिशन करना था. एडमिशन तो आसानी से हो जाता. लेकिन देशी मैम ने जो शर्त रखी उससे स्कूल प्रबंधक हैरान हो गए. आप भी यह शर्त सुनने कर आश्चर्यचकीत हो जाएंगे. देशी मैम की शर्त थी कि स्कूल में बच्चे के साथ दो आया होंगी, क्लास रूम के बाहर दो सुरक्षाकर्मी और दो सुरक्षाकर्मी स्कूल परिसर में रहेंगे. इसके बाद प्रबंधक ने हाथ जोड़ विनती करने लगे कि स्कूल में इस प्रकार की शर्त से दूसरों बच्चों पर भी प्रभार पड़ेगा. हमारे यहां वीआईपी से लेकर साधारण बच्चे भी अध्यनरत है. इसमें से किसी भी बच्चे को इस प्रकार की सुविधा नहीं दी गई है.
बंगले में काले- गोरे का खेल
जी आपकों जानकर और हैरानी हो जाएगी कि बंगले में काले- गोरे का खेल चल रहा है. यह खेल कोई आज का नहीं है, जहां- जहां उक्त अधिकारी रहे है, वहां- वहां यह खेल चलता आया है और हो सकता है आगे भी चलता रहे. लेकिन आपने पूरब- पश्चित का वह गाना तो सूना ही होगा. जिसमें भारत की तारीफ करते हुए मनोज कुमार ने एक गाना गया. उक्त गाने के बोल थे – है प्रीत जहां की रित सदा मैं गीत वहां के गाता हूं, भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनता हू. उक्त गाने में उन्होंने कहा था कि काले गोरे का भेद नहीं हर दिल से हमारा नाता है. कुछ और ना आता हो हमको पर प्यार निभाना आता है. इस गीत तो सून उक्त अधिकारी के दिल में देशभक्ति की भावना जाग जाए और काले- गोरे का खेल खत्म हो जाए.