• November 21, 2024 9:09 AM

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    बढ़ते छतीसगढ़ की आवाज

    शहर में रंगोत्सव 8 को, राधा -कृष्ण संग भक्त खेलेंगे होली

    बालाजी मंदिर के समक्ष 06 मार्च की देर रात्रि 05:20 बजे होगा होलिका दहन
    केसरिया रंगों से रंगेगे भक्त एवम भगवान
    सुमधुर भजनों के साथ नृत्य करेंगे युवक, बच्चे एवं बुजुर्ग
    सभी भक्तो को पहनाई जावेगी पगड़ी


    राजनांदगांव । संस्कारधानी नगरी राजनांदगांव में पिछले 32 वर्षों से रंगोत्सव का त्यौहार श्री सत्यनारायण मंदिर समिति के तत्वावधान में नागरिको की रंगोत्सव समिति द्वारा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ भक्ति एवं श्रद्धा पूर्ण मनाया जाता है। फागुन शुक्ल पूर्णिमा को होलिका दहन के पश्चात चैत्र कृष्ण एकम को श्री सत्यनारायण मंदिर में विराजित अखण्डब्रम्हाण्ड नायक भगवान राधाकृष्ण स्वयं अपने भक्तों के साथ रंग खेलने के लिए भव्य रथ पर सवार होकर शहर के प्रमुख मार्गों से निकलते हुए फागुन महोत्सव का आनंद भक्तों को प्रदान करते है।

    ज्ञातव्य है कि भगवान राधाकृष्ण मंदिर के गर्भगृह में विराजमान होते है, वर्ष में केवल दो दिन फागुन शुक्ल पूर्णिमा को भक्तों के साथ होली खेलने एवम भादवा शुक्ल ग्यारस को डोला में बैठकर जलक्रीड़ा करने ही भगवान मंदिर से निकलते है। केवल इन्हीं दो महोत्सव के अवसर पर ही आमजन बिना किसी भेदभाव के अपने आराध्य को स्पर्श करके पूजन, अभिषेक कर प्रसाद अर्पण कर सकते है, अन्य दिवस भगवान गर्भगृह में विराजमान रहते हैं, जहां केवल मंदिर के आचार्य का ही प्रवेश होता है। श्री सत्यनारायण मंदिर रंगोत्सव समिति द्वारा प्रतिवर्ष गंज के बालाजी मंदिर के समक्ष होने वाले होलिका दहन के दूसरे दिन रंगोत्सव का त्यौहार मनाए जाने की परंपरा रही है। इसी आधार पर बालाजी मंदिर के होलीका दहन 061 मार्च को आधार मानते हुए 07 मार्च को रंगोत्सव मनाए जाने की घोषणा की गई थी।
    देश के अनेक धार्मिक स्थलों एवम वृंदावन में धुलेंडी (रंगोत्सव ) 08 मार्च को मनाया जा रहा है। अतः अनेक धार्मिक एवम सामाजिक संगठनों द्वारा संस्कारधानी में भी रंगोत्सव 08 मार्च को मनाए जाने के लिए मंदिर समिति से आग्रह किया। जिस पर विचार कर समिति की पहल पर एक बैठक श्री सत्यनारायण मंदिर के आचार्य कालू महाराज के साथ समिति के सदस्यो एवम बालाजी मंदिर से जुड़े प्रतिष्ठित नागरिकों की बुलाई गई। जिसमे सर्व सम्मति से निर्णय लिया गया कि हिंदू संस्कृति के त्यौहार एकजुट होकर एक ही दिन मनाए जाए। इस आधार पर श्री बालाजी मंदिर के समक्ष होलिका दहन 06 मार्च की रात्रि / 07 मार्च की सुबह 05:20 बजे होगा एवम श्री रंगोत्सव समिति द्वारा भगवान राधाकृष्ण की शोभायात्रा 08 मार्च को सुबह 09:00 बजे निकाली जाएगी।


    श्री सत्यनारायण मंदिर समिति कि पदाधिकारियों ने प्रेस वार्ता में जानकारी दी कि मंदिर समिति वर्षों से हिंदू संस्कृति के विभिन्न
    त्योहारों को सार्वजनिक रूप से मनाती आ रही है।
    वर्ष 08 मार्च बुधवार को 33 वा रंगोत्सव का त्योहार धूमधाम से मनाए जाने हेतु व्यापक तैयारियां की जा रही है। राष्ट्र में प्रचलित शास्त्रोक्त मतानुसार फागुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन भक्तराज प्रह्लाद को अग्नि द्वारा समाप्त करने के राक्षसी प्रयास से होलिका स्वय जलकर समाप्त हो गई थी। अतः प्रतिवर्ष सनातन समाज द्वारा लाखो वर्षो से फागुन शुक्ल पूर्णिमा को होलिका दहन कर
    भक्त प्रह्लाद के रक्षा की स्मृति में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को रंगोत्सव का त्यौहार पूरे देश में मनाया जाता है। यह उत्सव बसंतोत्सव के नाम से भी मनाया जाता है, इसके कई मनोवैज्ञानिक एवम सामाजिक महत्व है। प्रकृति को पूजने वाला समस्त सनातन समाज, मनीषीयो व संतो ने प्रकृति प्रदत्त मान्यताओं की अवधारणाओं को ग्रहण कर इस प्राचीन परंपरा को संजोए रखा है। इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए मंदिर समिति ने सार्वजनिक रूप से संस्कारधानी नगरी में भव्य शोभायात्रा की शुरुवात की है।
    श्री सत्यनारायण मंदिर समिति की आयोजित बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि इस वर्ष रंगोत्सव पर नवीनता लिए भव्य रथ को तैयार किया जावेगा। भगवान पांच घोड़ों के भव्य रथ में सवार होंगे। रथ में भगवान राधाकृष्ण की बड़ी मूर्ति रहेगी, जिससे भगवान अपने भक्तो के ऊपर केसरिया रंग की फुहार करेंगे। मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित भगवान राधाकृष्ण युगल सरकार रथ के अग्र भाग में विराजमान होंगे। भगवान राधाकृष्ण के ऊपर कोई भी भक्त किसी ऊंच-नीच, जाति धर्म, अमीर-
    गरीब के भेदभाव के बिना स्वयं अपने हाथों से रंग, गुलाल, जल, प्रसाद इत्यादि का अर्पण कर सकेगा। श्री सत्यनारायण मंदिर रंगोत्सव समिति की ओर से जानकारी दी गई है कि भगवान राधाकृष्ण की भव्य शोभायात्रा ठीक सुबह 9 बजे प्रारम्भ होगी, शोभायात्रा के मार्ग में अनेक भक्तो द्वारा स्वप्रेरणा से अपने आराध्य भगवान राधाकृष्ण एवम उनके ग्वाल- बालो का स्वागत सत्कार ठंडाई, मिष्ठान, शीतल पेय, पेयजल, जलपान, फल इत्यादि से किया जाता है। इस वर्ष अनेक स्थानों पर रंगों के फुहारे से केसरिया रंग की बारिश किये जाने की तैयारियां की जा रही है। शोभायात्रा को भव्यता प्रदान करने सभी भक्तों की एकरूपता को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष भी सभी भक्तों के लिए विशेष रूप से तैयार केसरिया पगड़ी मंगाई जा रही है। रंगोत्सव समिति द्वारा मंदिर के समक्ष रथयात्रा प्रारंभ होने के समय उपस्थित सभी भक्तों को पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया जावेगा। शोभायात्रा की विशेषता यह होती है कि प्रत्येक भक्त केशरिया रंग में रंगा होता है। रंगोत्सव समिति ने आमजनो से आग्रह किया है कि शोभयात्रा में शामिल भक्तो के ऊपर
    लाल, गुलाबी एवम केशरिया रंगों एवम गुलाल का प्रयोग करे। संस्कारधानी के सभी भजन मंडलीयो एवम भजन गायको को इस अवसर पर फागुन के भजन गायन के लिए आमंत्रित किया गया है। संस्कारधानी की सभी भजन मंडलियों एवम गायक कलाकारों से चर्चा करसहमति प्राप्त की जा रही है।

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